उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद (Ballia District) के बैरिया तहसील के कर्ण छपरा में अजीबोगरीब मामला सामने आया है। कहा जाता है कि इन्सान का दिमाग कब बदल जाये ये कोई नहीं जानता। वहीं होने वाला पंचायत चुनाव अपने रौ में दिख रहा है। चुनाव में उतरने की बेताबी भी गजब की दिखाई दे रही है। इस पंचायत चुनाव में सीटों का आरक्षण क्या बदला आजीवन शादी नहीं करने का प्रण करने वाले भी आनन फानन में सात फेरे ले रहे हैं। जी हां ऐसा ही मामला बलिया में दिखाई दिया है।
जहां एक तरफ आरक्षण ने कई लोगों को चुनाव लड़ने से पहले ही पटखनी दे दी है। कई लोगों की लंबे समय से की गई समाजसेवा भी व्यर्थ चली गई है। लेकिन बलिया (Ballia District) के विकासखंड मुरलीछपरा के ग्राम पंचायत शिवपुर कर्ण छपरा एक प्रत्याशी ऐसे हैं जिनको आरक्षण भी मात नहीं दे पाया। लगभग एक दशक तक समाज सेवा करने के बाद ग्राम प्रधान बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए 45 वर्षीय हाथी सिंह ने अपनी पंचायत सीट महिला के लिए आरक्षित घोषित हो जाने के बाद तत्काल शादी कर ली है।

बता दें कि बलिया जिले (Ballia District) के करन छपरा गांव के निवासी हाथी सिंह पिछले एक दशक से समाज सेवा में लगे रहे। वर्ष 2015 में उन्होंने गांव की राजनीति में कदम रखते हुए ग्राम प्रधानी का चुनाव लड़ा और केवल 57 वोटों से हार कर उपविजेता रहे। इसके बाद दोबारा वह जनता की सेवा में जीत गए। अपनी मेहनत के दाम पर हाथी सिंह अपने गांव की सीट से इस बार जीत की उम्मीद लगा रखी थी, लेकिन चुनावों से पहले तय हो रहे आरक्षण में करन छपरा की सीट प्रधानी के चुनाव में महिलाओं के लिए आरक्षित घोषित कर दी गई है।
इस कारण हाथी सिंह के प्रधान निर्वाचित होने की उम्मीद भी टूट गई, उनके उम्मीदों के पर फिर जागे जब उनके समर्थकों ने सुझाव दिया कि वह शादी कर लें तो उनकी पत्नी चुनाव लड़ सकती है। फिर क्या था हाथी सिंह ने ना मुहूर्त देखा ना लग्न बस छपरा की एक लड़की से शादी कर ली।इस बारे में हाथी सिंह का कहना है कि मैं आजीवन अविवाहित रह कर जनता की सेवा करना चाहता था। लेकिन प्रधानी की सीट महिला होने के कारण मुझे शादी करनी पड़ी, क्योंकि मेरी माता जी की उम्र 85 साल से ऊपर की है, तो वह चुनाव नहीं लड़ सकती।