परिवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनसुख मंडाविया ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से गुरुवार 1 अप्रैल को सूरत के हज़ीरा बंदरगाह से दीव के लिए क्रूज सेवा (First Cruise service) को झंडी दिखाकर रवाना किया।मनसुख मनसुख मंडाविया ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत सरकार का क्रूज पर्यटन के विकास प्रमुख रूप से ध्यान केंद्रित है।
मुझे यह घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि 2014 से पहले, भारतीय बंदरगाहों पर केवल 139 क्रूज़ सेवा ही संचालित होती थी, लेकिन आज हमारे पास देश में कोविड-19 महामारी के बावजूद 450 क्रूज़ सेवाए हैं। 2014 के बाद से क्रूज़ सेवा (First Cruise Service)द्वारा यात्रा करने वाले पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। 2014 से पहले क्रूज़ सेवा (First Cruise Service) द्वारा यात्रा करने वाले पर्यटकों की संख्या एक लाख थी और 2019-20 में इन पर्यटकों की संख्या बढकर 4.5 लाख हो गई थी।
मनसुख मंडाविया ने आगे कहा कि भारतीय समुद्र तट पर क्रूज पर्यटन उद्योग के लिए एक बड़ी क्षमता है और भारत के पश्चिमी तट (मुंबई, गोवा, कोच्चि) और पूर्वी तट (विशाखापट्टनम, कोलकाता, चेन्नई) दोनों पर 6 अंतर्राष्ट्रीय क्रूज टर्मिनलों को स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है। श्री मनसुख लाल मंडाविया ने दक्षिण गुजरात और गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के बीच फेरी, रोरो और रोपैक्स सेवाओं के विकास के बारे में आशा व्यक्त करते हुए कहा कि अत्याधुनिक नौका टर्मिनलों और क्रूज सेवा में आधुनिक सुविधाओं के साथ जल परिवहन, राज्य के परिवहन का नया भविष्य है।
क्रूज़ सेवा से समुद्री यात्रा में एक तरफ का समय लगभग 13 से 14 घंटे का समय लगता है। क्रूज में 300 यात्रियों की क्षमता है और इसमें 16 केबिन हैं। यह क्रूज एक सप्ताह में दो चक्कर लगाएगा। क्रूज में खेलने का स्थान, वीआईपी लाउंज, डेक पर मनोरंजन और अन्य आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। एक तरफ की यात्रा के लिए प्रति व्यक्ति 900 रुपये और करों का खर्च आएगा।
मनसुख लाल मंडाविया ने कहा कि नवंबर, 2020 में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने-हज़ीरा-घोघा’ रोपैक्स सेवा का उद्घाटन किया था। चार महीने के भीतर, एक लाख यात्रियों और हजारों वाहनों ने फेरी सेवा का उपयोग किया। इस दौरान उनके यात्रा के समय में बचत हुई और हजीरा (सूरत) से घोघा (भावनगर) तक यात्रा कर समय और पैसा दोनो की बचत की। फेरी सेवा की सफलता ने गुजरात और पूरे भारत में जल परिवहन के कई और मार्गों के लिए द्वार खोल दिए हैं।