उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू (Shri Naidu) ने आज समाज में हर प्रकार के लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने और महिलाओं के लिए जीवन के हर क्षेत्र में समान अधिकार सुनिश्चित करने का आह्वान किया। आज नई दिल्ली में ब्रह्म कुमारियों की पूर्व प्रमुख राजयोगिनी दादी जानकी की स्मृति में एक स्मारक डाक टिकट जारी करते हुए, उपराष्ट्रपति ने महिलाओं के नेतृत्व में चलने वाली एक संस्था के रूप में ब्रह्म कुमारियों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह विश्वव्यापी आंदोलन महिलाओं के सशक्तीकरण और स्वतंत्रता का एक आदर्श चैंपियन रहा है।
यह इस तथ्य को प्रदर्शित करता है कि आध्यात्मिक सिद्धि लिंग-भेद से परे होती है। वैदिक काल की दो प्रसिद्ध महिला विद्वानों – गार्गी और मैत्रेयी – का उल्लेख करते हुए श्री नायडू (Shri Naidu) ने कहा कि भारत में हर क्षेत्र में महिला नेतृत्व का एक समृद्ध इतिहास रहा है। प्राचीन भारत में दिव्य स्त्री को ‘शक्ति’ के रूप में पूजे जाने के तथ्य का उल्लेख करते हुए, उन्होंने समाज में महिलाओं के खिलाफ व्यापक भेदभाव के रूप में परिलक्षित हो रही मूल्यों में गिरावट की प्रक्रिया को उलटने का आह्वान किया।
वर्ष 2019 में ब्रह्म कुमारियों के शांतिवन परिसर में श्रद्धेय दादी जानकी के साथ अपनी मुलाकात को याद करते हुए, उपराष्ट्रपति ने उन्हें समकालीन समय के अग्रणी आध्यात्मिक नेताओं में से एक बताया। दादी को शांति और धैर्य की अभिव्यक्ति करार देते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने अपने अंतिम समय तक वही किया, जिसका वो उपदेश देती थीं। उन्होंने कहा, “दुनिया भर में फैली ब्रह्म कुमारियां दादी के जीवन के मूल्यों और सिद्धांतों का एक जीवंत उदाहरण हैं।”
उपराष्ट्रपति ने लोगों को दादीजी के जीवन, जोकि भगवान और मानवता की निस्वार्थ सेवा के लिए समर्पित था, से प्रेरणा लेने का आग्रह करते हुए कहा कि दुनिया को उनकी तरह की सुकून देने वाली आवाजों की अधिक जरूरत है। उन्होंने कहा कि “उनकी शिक्षाएं राजयोग पर केंद्रित हैं, उनकी दयालुता, ‘सेवा’ और सादगी के गुण वास्तव में सभी के लिए अनुकरणीय हैं।” उन्होंने एक बेहतर भारत, जहां हर व्यक्ति को समान अवसर मिले और वह दूसरों के साथ पूर्ण सदभाव के साथ रहे, के निर्माण के लिए लैंगिक भेदभाव, जातिवाद और सांप्रदायिकता जैसी सामाजिक बुराइयों से लड़ने का आह्वान किया ।
उन्होंने यह भी कहा कि ‘साझा और देखभाल करने’ और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के भारतीय सभ्यतागत मूल्य स्थायी विश्व शांति के मार्ग हैं। इस बात पर जोर देते हुए कि आध्यात्मिकता सभी धर्मों का आधार है, श्री नायडू (Shri Naidu) ने कहा कि केवल आध्यात्मिक ज्ञान ही दुनिया में सच्ची शांति, एकता और सदभाव सुनिश्चित कर सकता है। इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि आज की व्यक्तिवादी जीवन शैली ने लोगों के सामाजिक या प्राकृतिक वातावरण के साथ संघर्ष की संभावना को बढ़ा दिया है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि आध्यात्मिकता व्यक्ति को अपने सामाजिक और प्राकृतिक वातावरण के साथ एकाकार करती है।

जब ऐसा सामंजस्य संभव होगा, तभी कोई व्यक्ति समाज और विश्व में सकारात्मक योगदान दे सकेगा। श्री नायडू ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि ब्रह्म कुमारी जैसे संगठन आसान और सरल भाषा में लोगों की शंकाओं / दुविधाओं को दूर करके उनकी मदद कर रहे हैं और इस प्रकार उनके जीवन में शांति और सदभाव ला रहे हैं। दूसरों की सेवा करने में आनंद लेने के दादी जानकी के दर्शन के पालन पर जोर देते हुए, श्री नायडू ने सभी से आग्रह किया कि वे वर्तमान कोविड -19 महामारी के दौरान जरूरतमंदों की मदद करें और उनका साथ दें।
उन्होंने कहा कि यह एक उपयुक्त श्रद्धांजलि है कि सरकार एक असाधारण आध्यात्मिक शिक्षक की पहली वर्षगांठ मनाने के लिए एक डाक टिकट जारी कर रही है। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद, सीबीआई के पूर्व निदेशक श्री डी.आर. कार्तिकेयन, ब्रह्म कुमारी बहन आशा, ब्रह्म कुमारी बहन शिवानी, श्री मृत्युंजय एवं अन्य उपस्थित थे। दुनिया भर के ब्रह्म कुमारी संगठन के सदस्य भी इस आयोजन में शामिल हुए।
Today Latest news in India | current politics in India | politics news India
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें | ईमेल कर सकतें है।
jarasuniye2019@gmail.com